वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि कुर्द लड़ाके उत्तर पूर्व सीरिया में अमेरिका को जंग में उलझाये रहने के लिए जेल में बंद इस्लामिक स्टेट समूह के आतंकियों को रिहा कर सकते हैं। पेंटागन ने रविवार को कहा कि कुर्द बलों पर तुर्की के तेज होते हमले के बीच ट्रंप ने उत्तरी सीरिया से 1000 सैनिकों यानी संघर्ष प्रभावित देश में जमीनी तौर पर तैनात लगभग सभी सैनिकों को वापस बुलाने का आदेश दिया था। सैनिकों को वापस बुलाने और तुर्की के हमले के लिए रास्ता साफ करने के लिहाज से पिछले सप्ताह लिये गये ट्रंप के फैसले की अमेरिका में आलोचना हो रही है। इसे अमेरिका के कुर्द सहयोगियों के साथ धोखे के तौर पर देखा जा रहा है। इससे आईएस के फिर से उभरने का खतरा पैदा हो रहा है। ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘यूरोप के पास उनके आईएसआईएस कैदियों को पाने का मौका था लेकिन वे कीमत नहीं चुकाना चाहते थे।’ अमेरिका ने हाल ही में उत्तरी सीरिया से अपनी फौज हटाने का फैसला किया है। यह इलाका विश्व का सबसे बड़ा कुर्द इलाका है। यहां करीब 30 मिलियन कुर्द रहते हैं। कुर्दों को अमूमन अमेरिका के खास सहयोगी के तौर पर देखा जाता है। हालांकि, अमेरिका के इस कदम से अब तुर्की के लिए कुर्दों पर आक्रमण करने का रास्ता साफ हो गया है। तुर्की और कुर्द लड़ाकों के बीच दशकों पुरानी रंजिश है। मिडिल ईस्ट में अमेरिका का कई बार सहयोग करने के बाद भी कुर्दों का हर मोर्चे पर यूएस ने नहीं दिया है साथ। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब कुर्दों को अमेरिका ने इस तरह छोड़ा हो। प्रथम विश्व युद्ध के बाद भी अमेरिका ने स्वतंत्र कुर्द राज्य का विरोध किया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भी अमेरिका ने कुर्दों पर इराक के जुल्म की कहानी जानते हुए भी इराक का समर्थन किया था। तुर्की और कुर्द के बीच जारी जातीय संघर्ष को जानते हुए भी अमेरिका ने तुर्की का कुर्दों के प्रति रूख जानते हुए भी हथियार मुहैया कराया था।
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